कहाँ हो तुम : Arati Tripathi

 

 

कहाँ हो तुम मिलते नहीं वहाँ


जहाँ आजकल रहते हो तुम

दिल के मकान से जी भर गया

या किसी नये मकान मे आजकल

बसने लगे हो तुम कहाँ हो तुम

थक गये हो क्या तुम दिल की  तंग 

गलियों में सफर करते करते

या साथ किसी और के आजकल

चल पड़े हो तुम कहाँ हो तुम

बेरंग नींदो से अपने सपने चुराकर

आई हूँ खोजने तुम्हें खुद को गंवाकर

मिलोगे कभी कहीं किसी मोड़पर

किसी के दिल में या फिर रोड़पर

उम्मीदों को थामे चले जा रही हूँ

ना रो रही हूँ ना हँस पा रही हूँ

बताओ कब कहाँ कैसे मिलोगे तुम

दिखते नहीं जमाने में कहाँ हो तुम

एक उम्र गुजर गई तेरी चाहतों में

देर होती है क्यूँ दिल की राहतों में

दुनिया की हर गली छानकर आई हूँ

मिलकर जाऊँगी ठानकर आई हूँ 

कभी तो कहीं से पता मिलेगा तुम्हारा

रहते जहाँ आजकल हो तुम कहाँ हो तुम

 

आरती त्रिपाठी

सीधी मध्य प्रदेश