जिला अस्पताल रायबरेली के इमरजेंसी वार्ड में डॉक्टर ने की वार्ड बॉय की कुटाई
- इमरजेंसी में तैनात डॉक्टर अतुल पांडे के द्वारा लिखे गए बाहर से इंजेक्शन को वार्ड ब्वॉय के मना करने पर की कुटाई
- जब यह मामला सीमा से पूछा गया तो पूरी तरह इस मामले से अनभिज्ञ दिखे
- जबकि अस्पताल में जगह जगह पर सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं
- लगता है चर्चाओं में बना रहना डॉक्टर अतुल पांडे का चोली और दामन का संबंध है
एंकर रायबरेली जिला अस्पताल इन दिनो चर्चा में शुमार होता जा रहा है अभी हाल ही में ही नेत्र सर्जन स्टाफ नर्स से प्रताड़ित होकर रिजाइन देने तक को तैयार हो गए थे ऐसा ही एक मामला जिला अस्पताल की इमरजेंसी में देखने को मिला जहां पर तैनात वार्ड बॉय कामता को इमरजेंसी में तैनात पीएमओ डॉक्टर अतुल पांडे व उनके गुर्गों द्वारा पीठ देने का मामला सामने आया है वार्ड बॉय का सिर्फ इतना ही कुसूर था कि कमीशन द्वारा लाए गए इंजेक्शन को लगाने से उसने मना कर दिया फिर क्या था इमरजेंसी में तैनात डॉक्टर आग बबूला हो गए और वार्ड बॉय की जमकर पिटाई कर दी
वी/ओ- ताजा मामला जिला अस्पताल की इमरजेंसी का है जहां पर तैनात कामता वार्ड बॉय के पद पर तैनात है आज जब वहां पर तैनात डॉ अतुल पांडे ने वार्ड बॉय से इंजेक्शन लगाने को कहा तो वार्ड ब्वॉय ने साफ इंकार करते हुए कहा कि काम फार्मेसिस्ट का है ना कि मेरा आप फार्मेसिस्ट से कहें वही इंजेक्शन लगाएंगे डॉक्टर अतुल पांडे को वार्ड बॉय की कही बात इतनी चुग गई की आव देखा न ताव और अपने सहयोगी के साथ वार्ड बॉय की जमकर पिटाई कर दी ऐसा नहीं है कि डॉक्टर अतुल पांडे का यह पहला कृत रहा हैं इससे पहले भी चर्चाओं में डॉक्टर अतुल पांडे का नाम आता रहा है जिसकी वजह से उनका स्थानांतरण जिला अस्पताल से जगत पुर सीएचसी कर दिया गया था लेकिन अपनी ऊंची रसूख के बल पर डॉक्टर अतुल पांडे ने अपना स्थानांतरण जिला अस्पताल परसों ही कराया है और आज इस घटना को अंजाम दे दिया डॉक्टर अतुल पांडे का विवादों का नाता जगत पुर सीएचसी में भी नहीं टूटा था जहां पर एक गर्भवती महिला ने इन पर छेड़छाड़ का आरोप लगाया था जिसकी जांच अभी स्वास्थ्य विभाग के किन्ही फाइलों में धूल चाट रही है मुख्य चिकित्सा अधीक्षक एमके श्रीवास्तव से बात की गई तो उन्होंने पहले तो वार्ड बॉय को ही कटघरे में खड़ा करते हुए साफ कर दिया कि एक वार्ड बॉय बयान कैसे दे सकता है साहब वह पीड़ित है और मार खाया है करोड़ों की लागत से जिला अस्पताल में सीसीटीवी कैमरे तो लगाए गए हैं लेकिन डॉक्टर के द्वारा की गई करतूत कहां चली गई या किसी को नहीं पता है यह कहावत यहां कहीं सटीक साबित होती है कि धोबी से जीत न पाव और गधे का कान उमेठो
वी/ओ- फिलहाल मीडिया कर्मियों की जिद पर मुख्य चिकित्सा अधीक्षक ने बयान देते हुए साफ तौर पर इस पूरे मामले से पल्ला झाड़ते हुए घटना ना हो ना ही दर्शा दिया लेकिन एक पुराना झुनझुना जो हमेशा बजवाना चाहते हैं मुख्य चिकित्सा अधीक्षक जांच कराएंगे कार्यवाही की जाएगी या तो आने वाला समय ही बताएगा गलत काम का विरोध करना क्या वार्ड बॉय को भारी पड़ेगा या अपने रसूख के दम पर डॉक्टर साहब फिर वही बैठकर कमीशन का खेल खेलेंगे